पढ़ने के लिए study Time Table kaise banaye| जानिए 6 ध्यान देने योग्य बातें।

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टाइम टेबल Time Table यानि कि किसी भी कार्य को करने के समय का लेखा जोखा। सीधे शब्दों में कहा जाय तो अपने उपलब्ध समय को आप किस काम में कितनी देर तक कब से कब तक व्यतीत कर रहे हैं। 

अब अगर इसे एक कागज पर नोट कर दिया जाए और आप आगे आने वाले दिनों में इसके अनुसार ही अपना काम करके समय उपयोग करते हैं तो बस यही टाइम टेबल है। (Time Table Kaise Banaye, Study Time Table kaise banaye hindi me, student time table, padhai ke liye time table). स्टडी टाइम टेबल आपके अध्ययन के समय को नियंत्रित करने में मदद करने का एक सुविधाजनक, आसान तरीका है।

यह आपको एक रास्ता देगा कि आप क्या करना चाहते हैं और आपके पास एक नज़र में कितना समय है। यदि आप व्यवस्थित रहना चाहते हैं और प्रेरित महसूस करना चाहते हैं, तो अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन करने में आपकी मदद करने के लिए व्यक्तिगत अध्ययन कार्यक्रम बनाने का प्रयास करें।

study time table kaise banaye
 
 
 

टाइम टेबल कैसे बनाएं  study time table kaise banaye

पढ़ने वाले किसी भी क्लास के छात्रों के लिए पढ़ाई के लिए टाइम टेबल कैसे बनाएं एक समस्या होती है और ज्यादातर छात्र नहीं बना पाते हैं तथा दूसरे का टाइम टेबल अपनाने की कोशिश करते हैं। 
 
लेकिन सबके लिए अपना टाइम टेबल बनाना बहुत जरूरी होता है। इससे छात्रों के पढ़ाई (study) के समय में बढ़ोतरी की जा सकती है और वो अपने समय को अच्छे से उपयोग कर सकते हैं।
 
 
 

Study Time Table बनाने की शुरुआत कैसे करें? 

 
टाइम टेबल बनाने के लिए सबसे पहले आप अपने पूरे दिन भर के क्रिया कलाप की लिस्ट बनाएं। याद रहे सुबह आप जब सो कर उठते हैं आपका दिन तभी से शुरू हो जाता है और जब आप सोते हैं तब खत्म होता है। इस लिस्ट में हर एक चीज को नोट करें समय के साथ, मतलब कितने बजे से कितने बजे तक कौन सा काम किया। 

इस लिस्ट में उठने के बाद हर एक काम जैसे की फ्रेश होना, नाश्ता करना, स्कूल, कोचिंग, में बिताए गए समय के साथ आने जाने का समय, फिर नाश्त/खाना, खेलना, पढ़ना, मनोरंजन (टीवी, मोबाईल) आदि के साथ रात को कब से कब तक सोते हैं वो भी नोट करना जरूरी है।
 
उदाहरण के तौर पर निम्न लिस्ट फॉर्मेट को अपनी दिनचर्या के अनुसार भर लें— ध्यान रहे किसी भी काम में लगने वाले समय को अभी सही रूप से (जितना समय वास्तव में लग रहा है) लिखें।
 

 

लिस्ट में काम से मतलब सोकर उठना, स्कूल जाना, पढ़ना, खेलना, नाश्ता करना, भोजन करना, मनोरंजन आदि है।
 

इस लिस्ट में पढ़ने के कितने घंटे हैं?

 
एक बार जब आपने अपनी दिन भर की दिनचर्या को नोट कर लिया है तब अब आप ये जान सकते हैं की इस लिस्ट में पढ़ने के कितने घंटे हैं। याद रहे पढ़ने के घंटों में स्कूल और कोचिंग में बिताया गया समय शामिल नहीं करना चाहिए। 
 
स्कूल और कोचिंग के अलावा बचे समय में ही आपको पढ़ने के घंटे निकालने हैं। हो सकता है की इस लिस्ट में पढ़ने के घंटे कम हों, आप को इन्ही घंटों को बढ़ाना है।
 
अगर आपके पढ़ने के घंटे बहुत कम  (3 घंटे से कम ) हैं तो इसे बढ़ाने की बहुत जरूरत है।
 

टाइम टेबल में पढ़ने के घंटे कैसे बढ़ाये ?

 
आपके द्वारा बनाई हुई पूरी लिस्ट को ध्यान से पढ़िये और समझिए और ये पता लगाईए की पढ़ने के समय को बढ़ाने के लिए आप किस काम के समय को कम कर सकते हैं। 
 
आपको अपनी लिस्ट में ऐसे कई काम मिलेंगे। ऐसा भी संभव है कि किए जा रहे किसी दो कामों के क्रम को आगे पीछे या साथ करने पर भी समय बच रहा हो। जिस भी काम के समय को आप कम कर रहे है या कहीं से समय बच रहा है तो उसे पढ़ने के समय में बढ़ाईए।
 
इस प्रकार से अब आप के पास एक नई लिस्ट नए समय के साथ तैयार हो जाएगी और आप इसमें पाएंगे की आपके पढ़ने के घंटे बढ़ गए हैं। और यही आपका टाइम टेबल है।
 
याद रहे स्कूल और कोचिंग के अलावा 6 घंटे के आसपास घर पर पढ़ने का समय होना चाहिए। अगर आप के पढ़ने के घंटे शुरू में बहुत कम थे तो तुरंत 6 घंटे करने से बचे अन्यथा ये 6 घंटे सिर्फ टाइम टेबल में ही रहेंगे वास्तव में आप 6 घंटे नहीं पढ़ पाएंगे।  बेहतर होगा आप धीरे धीरे अपने पढ़ने के घंटों को बढ़ाईए।
 
पढ़ने के घंटे बढ़ाने के दौरान बेशक शुरू में ये आपको अटपटा लगेगा लेकिन यकीन मानिए समय के साथ आपकी पढ़ने की आदत पड़ जाएगी।
 

टाइम टेबल में क्या क्या जरूर होना चाहिए?

 
आपकी लिस्ट में ढेर सारे काम होंगे लेकिन पढ़ने वालों के लिए इसमें कुछ चीजों का होना बेहद जरूरी है।
 
ज्यादा पढ़ने का समय, सोने का समय, मनोरंजन/खेल का समय ये तीनों चीजें स्पष्ट रूप से निर्धारित और अनुसरण होनी चाहिए। साथ ही खाने पीने का समय भी अनुशासित होना चाहिए।
 

टाइम टेबल के अनुसार पढ़ने के घंटों में विषयों (subjects) को कैसे पढ़े?

 
अब जब एक बार आप ने 6 घंटे समय पढ़ने के लिए निर्धारित कर लिया तो फिर अगला कदम है की कौन से विषय को कब पढ़े। ये पूरी तरह से आपकी इच्छा है की कौन सा विषय कब पढ़ना है फिर भी आप कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं।
 
 
  • जो सब्जेक्ट (विषय) गणितीय हो, पढ़ने बैठने के शुरुआत में उसे पढ़े और अन्य विषयों की तुलना में इसे ज्यादा समय दें।
 
  • सभी विषयों को एक ही दिन में पढ़ने की कोशिश न करें। एक दिन में (6 घंटे) 2 या ज्यादा से ज्यादा 3 विषय को ही पढ़े।
 
  • विषयों के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर उनके लिए समय को कम -ज्यादा निर्धारित करें। मतलब जिनका पाठ्यक्रम (syllabus) ज्यादा है उनके लिए ज्यादा समय।
 
  • जो विषय आपको आसान लगे उसे सोने से पहले पढ़े इससे नींद अच्छी आएगी।

 

 

टाइम टेबल को कैसे अपनायें (फॉलो करें)?

 
अब तक आपने टाइम टेबल बना लिया। पढ़ने के घंटे निर्धारित कर लिए कौन सा विषय कब पढ़ना है कितना पढ़ना है ये निर्धारित कर लिया है। मतलब कि आपने अपना टाइम टेबल बना लिया है।
 
अब अगला कदम है इस टाइम टेबल को अपनाने की (फॉलो) मतलब इसके अनुसार पढ़ने का।  अब यह पूर्णतः आप पर निर्भर करता है की आप इसे कैसे फॉलो करते हैं। निम्न बिन्दुयों को ध्यान में रखकर आप इसे कर सकते हैं।
 
 
  • सबसे पहले अपने पढ़ने के स्थान को एकांत में करें जहाँ पर आप किसी अवांछित आवाज या आवागमन से डिस्टर्ब न हों।
 
  • पढ़ने वाली जगह पर लाइट की व्यवस्था सही तरह से हो। मतलब लाइट न तो बहुत ज्यादा हो न ही बहुत कम। अन्यथा आँखों में थकावट जल्दी होगी साथ ही आंखे खराब भी जल्दी होंगी।
 
  • टीवी के सामने, गाना बजाकर, मोबाईल पास रखकर पढ़ने से बचें। मोबाईल का उपयोग पढ़ने के समय सिर्फ पढ़ने के लिए करें।
 
  • विषय बदलते रहिए। मतलब कठिन विषय के बाद सरल विषय और फिर कठिन।
 
  • पढ़ने के समय के बाद आपके मनोरंजन का समय अगर आ गया है तो उसे भी करें।   
 
  • अगर पढ़ते हुए जल्द ही आप बोर (ऊबना) हो जाते हैं तो फिर लिखकर पढ़ने की या लिखते हुए पढ़ने की आदत डालें। इससे टॉपिक जल्दी समझ आएगा और समय का पता ही नहीं चलेगा। 
 
  • 1 घंटे के बाद 10 मिनट का ब्रेक (गैप) अवश्य लें। इससे शारीरिक और मानसिक थकावट दूर होगी और आप फ्रेश महसूस करेंगे।
 
  • उपर्युक्त बिन्दुयों को नियमित रूप से पालन करें।
 
  • नकारात्मक मत सोचें। आपने आप पर भरोसा रखें। संयम से काम लें।   

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