एक ऐसा बल्लेबाज जो 2000 के दशक में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के लिए एक नाइटमेयर (बुरे सपने जैसा ) बन चूका था| जिसने औस्ट्रेलिया के 16 टेस्ट मैचों के विजय अभियान को तोड़ने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| जो औस्ट्रेलिया के खिलाफ आउट होने का नाम नहीं लेता था और बैटिंग क्रीज पर एक लक्ष्मण रेखा खींच कर बैटिंग करता था। जिसके नाम में भी लक्ष्मण है | जी हा हम बात कर रहे हैं वीवीएस लक्ष्मण की।
जीवन परिचय
लक्ष्मण का जन्म हैदराबाद, आंध्र प्रदेश में हुआ था। लक्ष्मण के माता-पिता विजयवाड़ा के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ शांताराम और डॉ सत्यभामा हैं। लक्ष्मण भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पर – भतीजे हैं।
पूरा नाम – वांगीपुरपू वेंकट साई लक्ष्मण
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जन्मतिथि – 1 नवंबर 1974
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जन्मस्थान – हैदराबाद, भारत
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उपनाम – वीवीएस, वेरी वेरी स्पेशल
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बैटिंग – Right-handed
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बोलिंग – Right-arm off spin
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लक्ष्मण ने हैदराबाद के लिटिल फ्लावर हाई स्कूल में पढ़ाई की। यद्यपि उन्होंने अपने स्नातक अध्ययन के लिए एक मेडिकल स्कूल में प्रवेश लिया, लेकिन लक्ष्मण ने क्रिकेट को करियर के रूप में चुना। उन्होंने 16 फरवरी 2004 को गुंटूर से कंप्यूटर अनुप्रयोग स्नातक जी. आर. शैलजा से शादी की। उनके दो बच्चे हैं – एक बेटा सर्वजीत और एक बेटी अचिंत्या।
घरेलू क्रिकेट करिअर–
लक्ष्मण ने अपना घरेलू क्रिकेट करिअर 1992-1993 में हैदराबाद की तरफ से रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल में पंजाब के विरूद्ध खेलकर शुरू किया था। उन्होंने पहली पारी में शून्य और दूसरी पारी में 17 रन बनाया था। सन् 1994-95 में साउथ ज़ोन से दलीप ट्रॉफी के लिए चुने हए थे। इसका कारण अन्डर-19 में किया गया उम्दा प्रदर्शन था। उसी सीजन के रणजी ट्रॉफी में 5 मैचों में 76 के शानदार औसत और दो शतकों की सहायता से 532 रन बनाया था। अगले साल की रणजी ट्रॉफी में भी शानदार बल्लेबाजी का मूशायरा पेश करते हुए 11 पारियों में 86 के औसत और 3 शतकों की सहायता से 775 रन बनाया था। इन्ही 11 पारियों में एक में शानदार 203 रनों की भी एक पारी थी। इसके बाद इनका चयन ईरानी ट्रॉफी में कर्नाटक के विरूद्ध शेष भारत की तरफ से खेलने के लिए हुआ था। इसके अलावा इन्होंने बोर्ड प्रेसीडेंट-11 के लिए भी मैच खेल हुआ है।
अन्डर-19 अंतर्राष्ट्रीय करिअर की शुरुआत–
लक्ष्मण ने 1994 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना अंडेर 19 डेब्यू किया था। अपनी पहली अंतर्राष्ट्रीय पारी (U-19)में छठे नंबर पर बैटिंग करते हुए ब्रेट ली और जेसोन गिलेसपी जैसे गेंदबाजों के संमने 88 रनों की शानदार पारी खेली थी। सीरीज के दूसरे मैच की पहली पारी में 151 नॉटआउट और दूसरी इनिंग में 77 रन बनाकर भारतीये टीम को 220 से ज्यादा रनों की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। सीरीज के तीसरे और आखिरी मैच में क्रमश: 36 और 84 बनाकर सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। इसी सीरीज में भविष्य में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक बेहतरीन बल्लेबाज की बल्लेबाजी की नींव रखी जा चुकी थी।
अंतर्राष्ट्रीय करिअर (सीनियर लेवल)–
लक्ष्मण ने 1996 में अहमदाबाद में साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट में पदार्पण किया था। उस मैच की दूसरी पारी में एक अर्धशतकीय पारी खेली थी। उस सीरीज के दूसरे मैच में 14 और 1 रनों की पारी खेली थी। उसके बाद भारतीय टीम के साउथ अफ्रीका के दौरे में सितारों से सजी भारतीय टीम में अपना स्थान पक्का करने में सफल नहीं हुए।1997 में वेस्टइंडीज के दौरे पर पारी की शुरुआत करने (ओपनिंग) की जिम्मेदारी मिली। ओपनर के तौर पर अपनी पहली पारी में 64 रन बनाए थे। और फिर लगभग तीन सालों तक पारी की शुरुआत की जिम्मेदारी निभाई। हालांकि इस जगह (ओपनिंग) पर खेलते हुए कोई खास सफलता नहीं हासिल की।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली धाकड़ बैटिंग
1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई 95 रनों की पारी और नवजोत सिद्धू (97 रन) के साथ की गई बेमिसाल साझेदारी की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पारी और 219 रनों की करारी शिकश्त दी। सीनियर लेवल मैच में लक्ष्मण की ये पारी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली धाकड़ बल्लेबाजी थी। 1998 में ही पेप्सी ट्राई सीरीज में जिंबाम्बे के खिलाफ एकदिवसीय मैच पदार्पण में शून्य पर आउट हो गए थे।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली धाकड़ बैटिंग
1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई 95 रनों की पारी और नवजोत सिद्धू (97 रन) के साथ की गई बेमिसाल साझेदारी की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पारी और 219 रनों की करारी शिकश्त दी। सीनियर लेवल मैच में लक्ष्मण की ये पारी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली धाकड़ बल्लेबाजी थी। 1998 में ही पेप्सी ट्राई सीरीज में जिंबाम्बे के खिलाफ एकदिवसीय मैच पदार्पण में शून्य पर आउट हो गए थे।
1999 में लक्ष्मण ने अपने फॉर्म को वापस पाने के लिए घरेलू मैचों की ओर रूख किया। 1999-2000 के रणजी ट्रॉफी के एक सीजन में 108 के जबर्दस्त औसत के साथ 9 मैचों में 8 शतकों की सहायता से 1415 रन बनाया जोकि एक रिकार्ड है जो अभी तक टूटा नहीं है। इस शानदार उपलब्धि के कारण उनको पुनः 2000 में ऑस्ट्रेलिया टूर के लिए चुना गया। इस सीरीज के तीसरे और और अंतिम मैच में लक्ष्मण ने 167 रन बनाए। इसके अलावा इस टूर में कुछ भी खास नहीं था। एक बार पुनः खुद के फॉर्म को वापस पाने के लिए घरेलू मैचों की तरफ रूख किया। लक्ष्मण को लगता था की ओपेनर के तौर पर वो अपना बेस्ट नहीं दे पा रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सबसे बड़ी पारी–
इस सीरीज से पहले अब तक लक्ष्मण ने वो नहीं दिखाया था जिसकी उनके अंदर क्षमता थी। 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में अब कुछ बड़ा होने वाला था जिसकी शायद किसी को उम्मीद नहीं थी। इस सीरीज के पहले मैच में भारत की शर्मनाक हार हुई जिसमें सचिन के अलावा और कोई बल्लेबाज नहीं चला। लक्ष्मण ने इस मैच में 20 और 12 रन बनाये। ये ऑस्ट्रेलिया की लगातार 16 वीं टेस्ट जीत थी।
सीरीज के दूसरे मैच में ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी के 445 रनों के जवाब में भारतीय टीम 171 रन पर ऑल आउट हो गई और फॉलोऑन खेलने पर मजबूर हो गई। भारत की तरफ से पहली पारी में लक्ष्मण ने 59 रन बनाए थे।
दूसरी पारी में 275 रनों से पीछे चल रही भारतीय टीम की शुरुआत बहुत अच्छी नहीं थी क्योंकि 100 रनों पर 2 विकेट गिर गए थे और 232 तक आते आते 4 विकेट। लेकिन एक छोर पर लक्ष्मण रुके हुए थे। और अब लक्ष्मण का साथ देंने के लिए द्रविड क्रीज पर आए। और यही से शुरू हुई एक इतिहास लिखे जाने की पटकथा। लक्ष्मण और द्रविड की जोड़ी ने चौथे दिन, दिन भर बल्लेबाजी की और ये पारी दुनिया की छठी सबसे बेहतरीन पारी बनी। लक्ष्मण ने उसी पारी में भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रनों के रिकार्ड (236 रन सुनील गवास्कर) को तोड़ा और आउट होने से पहले 281 रन बनाए। साथ ही द्रविड ने भी 180 रनों की पारी खेली। भारत का पाँचवा विकेट 608 रनों पर गिरा। पाँचवे विकेट के लिए रिकार्ड 376 रन बने। भारत ने दूसरी पारी 657 रनों पर घोषित की।
फिर हरभजन और सचिन की बेहतरीन गेंदबाजी के दम पर ऑस्ट्रेलिया को 212 रन पर ऑल आउट कर दिया। साथ ही ये मैच जीतते हुए भारत ने ऑस्ट्रेलिया के 17 वीं जीत के रथ को भी रोका। मैच के बाद शेन वॉर्न ने कहा था कि उस पारी में उनको समझ नहीं आ रहा था की लक्ष्मण को रोकने के लिए गेंद को कहा फेंके।
ये केवल तीसरा मौका था जब किसी टीम ने फॉलोऑन खेलने के बाद विपक्षी टीम को हराया था।
ये पारी और मैच लक्ष्मण के करिअर के लिए टर्निंग पॉइंट था। सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच में लक्ष्मण ने 65 और 66 रन बनाए थे। नंबर तीन पर खेलते हुए लक्ष्मण को अच्छी खासी सफलता मिली।
यहाँ से लक्ष्मण ने हमेशा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उम्दा प्रदर्शन किया। 2003-04 में भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर तो कमाल ही कर दिया। इस दौरे पर लक्ष्मण ने 3 एकदिवसीय व 2 टेस्ट शतक लगाए। एडिलेड टेस्ट 2003 में एक बार फिर लक्ष्मण और द्रविड के बीच तीनशतकीय साझेदारी बनी जिसमें द्रविड 233 और लक्ष्मण ने 148 रन बनाए। और ऑस्ट्रेलिया को 4 विकेट से मात दी।
सिडनी टेस्ट में तेंदूलकर के साथ तीनशतकीय साझेदारी निभाकर भारत को 705 रन के उच्चतम स्कोर को बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लक्ष्मण का बेहतरीन रिकार्ड है। टेस्ट में लगाये गए 17 शतकों में से 6 और 6 एकदिवसीय शतकों में से 4 ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगाए हैं। टेस्ट में दो दोहरे शतक भी ऑस्ट्रेलिया के ही खिलाफ लगाए है. ऑस्ट्रेलिया के इयान चैपल ने ही वीवीएस लक्ष्मण को वेरी वेरी स्पेशल कहा था।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लक्ष्मण का बेहतरीन रिकार्ड है। टेस्ट में लगाये गए 17 शतकों में से 6 और 6 एकदिवसीय शतकों में से 4 ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगाए हैं। टेस्ट में दो दोहरे शतक भी ऑस्ट्रेलिया के ही खिलाफ लगाए है. ऑस्ट्रेलिया के इयान चैपल ने ही वीवीएस लक्ष्मण को वेरी वेरी स्पेशल कहा था।