मौजूदा राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं है और दूसरी चीज ये है यहां कोई किसी का नहीं है सबका अपना निजी स्वार्थ है, स्वार्थपूर्ति खत्म रिश्ता खत्म, ना कोई शत्रु और ना ही कोई आपका मित्र है।
राजस्थान के वर्तमान राजनीतक हालत कुछ इसी प्रकार है, ना कोई विचारधारा और ना ही कोई दिशा। सबको चाहिए सत्ता और सत्ता का सुख । ना ही पक्ष को और ना ही विपक्ष को है जनता की समस्याओं में दिलचस्पी, दिलचस्पी है तो किसी को सत्ता बचाने की और किसी को सत्ता हासिल करने की।
जहां राजस्थान की राजनीति में गहलोत पुराने माहिर खिलाड़ी है और वही जोश व नई सोच वाले सचिन पायलट, फिलहाल तो अब तक बाजी सत्ता की बाजी गहलोत के हाथ लगी है, फ़िलहाल अगर पायलट समर्थक 19 विधायक इस्तीफा दे या फिर सरकार के ख़िलाफ़ जाते है तो हो सकता है गहलोत की मुश्किलें बढ़ जाए।
लेकिन सत्ता अभी तक गहलोत के हाथ में, बाकी राजस्थान का सियासी संकट पूर्ण रूप से खत्म नहीं हुआ है।
वही कांग्रेस की अंतर्कलह को बीजेपी बड़ी दूर से आशावादी नज़रों से देख रही है।